Golconda fort haunted story in hindi
golkunda fort || एक रहस्य
भारत में कई राजा-महाराजाओं ने अपने रहने और आपातकालीन स्थितियों में छुपने के लिए किले बनवाए थे। ये किले आज भी देश की शान बने हुए हैं। इनमें से एक है गोलकुंडा का किला, जो हैदराबाद के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है।
यह किला देश की सबसे बड़ी मानव निर्मित झीलों में से एक हुसैन सागर झील से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इसी क्षेत्र के सबसे संरक्षित स्मारकों में से एक है।
गोलकुंडा किले का इतिहास और निर्माण
golconda fort: कहा जाता है कि गोलकुंडा किले का निर्माण कार्य 16वीं शताब्दी के दशक के दौरान पूरा हुआ, लेकिन इसे बनाने की शुरुआत 13वीं शताब्दी में काकतीय राजवंश द्वारा की गई थी। यह किला अपनी वास्तु कला, पौराणिक कथाओं और इतिहास के लिए जाना जाता है।
किले के भीतर कई गुप्त सुरंग मार्ग हैं, जो दरबार हॉल से शुरू होकर हिल के निचले भाग तक जाते हैं और एक महल पर समाप्त होते हैं। कहा जाता है कि ये सुरंगें बचाव के मार्ग के रूप में बनाई गई थीं, लेकिन अभी तक कोई भी इन्हें नहीं ढूंढ पाया है।

अमेरिका में गोलकुंडा से प्रेरित नाम
गोलकुंडा किले की शोहरत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अमेरिका में तीन स्थानों के नाम गोलकुंडा से प्रेरित हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक मीनिंग टाउन का नाम ‘गोलकोंडा’, एरिजोना में एक गोस्ट टाउन का नाम ‘गोल्कोंडा’ और नेवाडा में एक शहर का नाम भी ‘गोलकुंडा’ है। हैदराबाद की तरह दिखने वाले इस शहर को 1917 में गोलकुंडा के नाम से जाना जाता था।
प्रसिद्ध गोलकुंडा हीरे और ब्रिटिश राज golconda fort
दुनिया भर में प्रसिद्ध डायमंड जैसे कोहिनूर, दरिया नूर, नूर-उल-ऐन, हॉप डायमंड और रीजेंट डायमंड की खुदाई गोलकुंडा की खानों से की गई थी। ब्रिटिश राज के दौरान कोहिनूर हीरा उन्हें मिला था, जो हैदराबाद की गोलकुंडा से निकला था।
औरंगजेब द्वारा गोलकुंडा पर आक्रमण और विजय
इतिहास गवाह है कि औरंगजेब ने कुतुब शाही अधिकारी अब्दुल्ला कुतुब शाह की पत्नी को रिश्वत देकर किले के दरवाजे को खोलवाया था। यह दरवाजा 67 फुट चौड़ा और 25 फुट लंबा था। इस तरह औरंगजेब ने गोलकुंडा पर कब्जा कर लिया और कुतुब शाही सल्तनत के सुनहरे अध्याय का अंत कर दिया।
मिट्टी का किला से ग्रेनाइट का किला तक का सफर golconda fort
पहले golconda एक मिट्टी का किला था, जिसे 13वीं शताब्दी में काकतीय शासकों द्वारा बनाया गया था। कहा जाता है कि एक चरवाहे लड़के को यहां एक मूर्ति मिली थी, जिसे उसने शासकों के पास लाया। शासकों ने मूर्ति के चारों ओर मिट्टी के किले का निर्माण कराया। बाद में इसे ग्रेनाइट के पत्थरों से बनाया गया।
गोलकुंडा किला: एक विरासत और शान golconda fort
गोलकुंडा किला भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी बुलंद दीवारें, तोपें और बंदूकों की खुफियां रास्तों की गोलकुंडा किले की शानदार वास्तुकला को दर्शाती हैं। यह किला सत्ता और प्रशासन का गढ़ था, जिसकी शुरुआत 7वीं शताब्दी में रेड्डी शासकों द्वारा की गई थी। सुल्तान कुली कुतुब शाह के शासन में यह एक विस्तृत और मजबूत किला बन गया था।
golconda fort: एक रहस्यमय अतीत और व्यापारिक केंद्र
गोलकुंडा किले के रहस्यमय अतीत को समझने के लिए, हमें इस बात पर गौर करना होगा कि इसके पास्तिक सिस्टम की क्या आवश्यकता थी। बीते समय में गोलकुंडा एक महत्वपूर्ण ट्रेडिंग रूट पर स्थित था। यहां के आसपास हीरों की खदानें भी थीं, जिससे यह हीरों के व्यापार का केंद्र बन गया था। चारदीवारी के भीतर ही गोलकुंडा का शासन चलता था, और यहां से न केवल व्यापार बल्कि पूरे दक्षिण भारत की नियति तय होती थी।
गोलकुंडा किला: एक जटिल संरचना और रहस्यमय निर्माण
लगभग 11 किलोमीटर के दायरे में फैले गोलकुंडा किले को चार जिलों में विभाजित किया गया था। इसमें कई दरवाजे, महल, हॉल, इबादत के लिए मस्जिदें और यहां तक कि स्नान घाट भी शामिल थे। यह जानना दिलचस्प होगा कि इस जटिल सिस्टम का निर्माण क्यों और कैसे किया गया था। इस किले की अद्भुत वास्तुकला और इतिहास को देखकर हर कोई चकित रह जाता है।
गोलकुंडा किले से जुड़ी अन्य कहानिया
महाकाली का मंदिर और नवरात्रि पर्व
golconda fort के सबसे ऊपर जगदंबा महा मंदिर स्थित है। राजा इब्राहिम कुली कुतुब शाह अपनी प्रजा के बीच इतना लोकप्रिय था कि हिंदुओं द्वारा उन्हें मलिकभरम कहा जाता था। यहां नवरात्रि के पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता था और पूरे शहर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती थी।
400 साल पुराना बोअबाब पेड़ ,golconda fort
गोलकुंडा किले में एक बहुत पुराना अफ्रीकी बोअबाब पेड़ है, जिसकी उम्र लगभग 400 साल बताई जाती है। इस पेड़ को कुछ अरब व्यापारियों ने सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह को भेंट किया था। स्थानीय लोग इसे ‘हाथियों का झाड़’ कहते हैं।
बालाहिसार पवेलियन की अनोखी विशेषता
golconda fort में बालाहिसार पवेलियन एक जगह है, जो इस किले में सबसे ऊंचा बिंदु है। यहां से केवल 1 किलोमीटर की दूरी पर एंट्रेंस गेट है। अगर आप एंट्रेंस पर ताली बजाते हैं, तो आवाज पवेलियन तक आती है। इसी तरह, यदि आप यहां बात करते हैं, तो वह स्पष्ट रूप से इस जगह से सुनी जा सकती है। यह किले की अद्भुत अकुस्टिक्स का प्रमाण है।
गोलकुंडा किले में बालाहिसार गेट एक दिलचस्प जगह है। यह किले का सबसे ऊंचा बिंदु है। कहा जाता है कि जब भी गार्ड को दुश्मन की आहट सुनाई देती थी, वह इस गेट से अलार्म बजाकर बाकी सैनिकों को अलर्ट कर देता था। लेकिन अफसोस, जो बल से संभव नहीं हो सका, वह एक विश्वासघाती ने कर दिखाया।
लाइट और साउंड शो: हैदराबाद के इतिहास की झलक
गोलकुंडा किला हैदराबाद शहर के सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। यहां होने वाले लाइट और साउंड शो तीन भाषाओं – अंग्रेजी, हिंदी और तेलुगू में होते हैं। इस शो में हैदराबाद के इतिहास के बड़े पहलुओं को प्रस्तुत किया जाता है। यह शो न केवल रोमांचक है, बल्कि शिक्षाप्रद भी।
golconda fort का भ्रमण समय और शुल्क
गोलकुंडा किला सुबह 9:00 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है। किले के इस साउंड और लाइट शो के लिए प्रवेश शुल्क 130 रुपये है। आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ यहां आकर एक शानदार दिन बिता सकते हैं।
गोलकुंडा किला: प्रवेश शुल्क और वीडियोग्राफी की शर्तें
गोलकुंडा किले के लिए प्रवेश शुल्क 1 रुपये प्रति व्यक्ति और 50 रुपये मोबाइल फोन के लिए है। यदि आप किले के अंदर वीडियोग्राफी करना चाहते हैं, तो आपको अलग से शुल्क देना होगा। इसलिए, यदि आप वीडियोग्राफी करना चाहते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें और पहले से ही शर्तों को समझ लें।
golconda fort: रहस्यमय कहानियां और प्रेम कथाएं
गोलकुंडा किले से कई रहस्यमय कहानियां और प्रेम कथाएं जुड़ी हुई हैं। एक कहानी सुल्तान कुली कुतुब शाह और हिंदू नर्तकी भागमती के प्रेम संबंध की है। कहा जाता है कि कुतुब शाह ने भागमती को ‘हैदर महल’ का खिताब दिया था, जिससे हैदराबाद शहर को अपना नाम मिला। इस प्रेम कथा ने गोलकुंडा किले को और भी मशहूर बना दिया।
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