errum manzil haunted place hyderabad

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errum manzil  || एक शाही वास्तुकला का अद्भुत नमूना

हैदराबाद की इरम मंज़िल एक ऐतिहासिक शाही महल है जिसकी वास्तुकला और विरासत दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करती है। इस महल की कहानी कई सदियों पुरानी है और इसके पीछे एक रोचक इतिहास छिपा हुआ है। यह लेख इरम मंज़िल के इतिहास, वास्तुकला, महत्व और संरक्षण पर विस्तार से प्रकाश डालता है।

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errum manzil history

errum manzil का निर्माण नवाब फखरुल मुल्क ने 19वीं शताब्दी में कराया था। यह इमारत एक पहाड़ी पर स्थित है, जिसे स्थानीय भाषा में ‘एर्रागड्डा’ या ‘लाल पहाड़ी’ के नाम से जाना जाता है। इसी कारण से नवाब ने इस इमारत का नाम फारसी भाषा से लेकर ‘ईरम मंजिल’ (स्वर्ग का महल) रखा था।

errum manzil शाही भोजों और आयोजनों के लिए उपयोग की जाती थी। बाद में यह सरकारी रिकॉर्ड भंडारगृह के तौर पर इस्तेमाल होती रही। वर्तमान में इस जमीन पर सड़क और भवन तथा सिंचाई विभागों के कार्यालय स्थित हैं।

 महल का निर्माण और नामकरण की कहानी

इरम मंज़िल का निर्माण वर्ष 1784 में नवाब फखरुल मुल्क द्वारा शुरू किया गया था। यह महल हैदराबाद के पंजागुट्टा इलाके में स्थित एक पहाड़ी पर बना है, जिसे स्थानीय तेलुगु भाषा में “एर्रागड्डा” या “लाल पहाड़ी” के नाम से जाना जाता है। फखरुल मुल्क ने इस महल को “इरम मंज़िल” नाम दिया, जिसका अर्थ फारसी भाषा में “स्वर्गीय निवास” होता है।

errum manzil नाम का चयन इसलिए किया गया क्योंकि फारसी शब्द “इरम” (ايرام) का अर्थ “स्वर्ग” होता है और यह “एर्रा” (ఎర్ర) जैसा लगता है, जो तेलुगु में “लाल” का अर्थ रखता है। इस प्रकार, नवाब ने इस महल को दो नामों से जाना जाना चाहा – “इरम मंज़िल” फारसी-अनुकूल मुस्लिम शासकों के लिए और “एर्रम मंज़िल” स्थानीय तेलुगु लोगों के लिए।

शानदार वास्तुकला और सुविधाएँ

इरम मंज़िल की वास्तुकला शानदार और भव्य है, जो मुगल और पारसी शैलियों का एक अनूठा मिश्रण है। इसमें लगभग 150 कमरे हैं, जिनमें से कई में शाही सुविधाएँ और सजावट मौजूद हैं।

महल में एक विशाल दरबार हॉल, प्राइवेट कमरे, बगीचे और तालाब शामिल हैं। irrum manzil की दीवारों पर मुगल शैली की कलात्मक नक्काशी और चित्रकारी की गई है, जबकि आर्चवे, छत के डिजाइन और जालीदार खिड़कियाँ पारसी वास्तुकला के प्रभाव को दर्शाती हैं।

 राजसी उपयोग और विरासत

इरम मंज़िल का उपयोग नवाब और उनके परिवार द्वारा शाही भोज, त्योहारों और अन्य भव्य आयोजनों के लिए किया जाता था। यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण निवास स्थान और मनोरंजन का केंद्र था। बाद में, ब्रिटिश शासन के दौरान, इस महल का उपयोग सरकारी रिकॉर्ड भंडार-गृह के रूप में किया गया।

आज, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित इरम मंज़िल को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में देखा जाता है, जहाँ हर साल हजारों पर्यटक इसकी खूबसूरती और इतिहास का अनुभव लेने आते हैं।

errum manzil की वास्तुकला

 मुगल और पारसी शैली का अद्भुत संगम

इरम मंज़िल की वास्तुकला मुगल और पारसी शैलियों का एक अनूठा मिश्रण है, जो इसे और अधिक खास बनाता है। इसकी दीवारों पर मुगल शैली की कलात्मक नक्काशी और चित्रकारी की गई है, जिसमें शाही जीवन और प्रकृति से प्रेरित विषयों को दर्शाया गया है।

साथ ही, इसमें पारसी वास्तुकला के प्रभाव भी दिखाई देते हैं, जैसे कि आर्चवे, छत के गुंबद और जालीदार खिड़कियाँ। इन दोनों शैलियों का संगम इरम मंज़िल को एक अद्वितीय और सुंदर वास्तुकला प्रदान करता है।

विशाल दरबार हॉल और भव्य सजावट

errum manzil का सबसे आकर्षक हिस्सा इसका विशाल दरबार हॉल है, जो शाही समारोहों और भोजों के लिए उपयोग किया जाता था। यह हॉल अपने आकार और सजावट के लिए प्रसिद्ध है। इसकी छत पर कलात्मक नक्काशी और चित्रकारी की गई है, जबकि दीवारों पर शानदार तस्वीरें और मूर्तियाँ बनी हुई हैं।

हॉल में विशाल शीशे के शामियाने और जालीदार खिड़कियाँ भी हैं, जो इसे और अधिक भव्य बनाती हैं। इस दरबार हॉल में शाही परिवार अपने मेहमानों का स्वागत करता था और उनके लिए भव्य आयोजन किए जाते थे।

बगीचे, जलाशय और प्राकृतिक सौंदर्य

इरम मंज़िल के आसपास विशाल बगीचे और जलाशय हैं, जो इसकी खूबसूरती को और बढ़ाते हैं। बगीचों में विभिन्न प्रकार के फूलों और पेड़ों के साथ-साथ बाग़बानी की अद्भुत कलाकारी देखने को मिलती है। इनमें से कुछ बगीचों में मुगल शैली की बागवानी भी दिखाई देती है।

साथ ही, तालाब और झरने शांति और प्रकृति के साथ एकजुटता लाते हैं। ये बगीचे और जलाशय शाही परिवार के लिए विश्राम और मनोरंजन के स्थान थे, जहाँ वे अपना समय बिताते थे।

इरम मंज़िल का महत्व और संरक्षण

 शाही विरासत का प्रतीक और पर्यटन आकर्षण

इरम मंज़िल हैदराबाद की शाही विरासत का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह निज़ाम शासकों की शानदार वास्तुकला, कला और जीवन शैली को दर्शाता है।

इसकी भव्य वास्तुकला, सजावट और बगीचे उस समय के शाही जीवन की झलक देते हैं। आज, इरम मंज़िल एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहां हर साल हजारों देशी और विदेशी पर्यटक इसकी खूबसूरती और इतिहास का अनुभव लेने आते हैं। यह न केवल भारतीय संस्कृति और कला का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि पर्यटन के माध्यम से आर्थिक विकास में भी योगदान देता है।

errum manzil संरक्षण और बचाव प्रयास

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और तेलंगाना राज्य सरकार errum manzil के संरक्षण और रखरखाव के लिए प्रयासरत हैं। इस महल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सूची में “बी2” श्रेणी में रखा गया है, जिससे इसके संरक्षण और मरम्मत के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।

स्थानीय निवासियों और संस्कृति प्रेमियों ने भी इस ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण के लिए प्रयास किए हैं। हालाँकि, समय के साथ प्राकृतिक कारकों और मानवीय उपेक्षा के कारण इस महल की कुछ क्षति हुई है, लेकिन निरंतर संरक्षण प्रयासों से इसे बचाया जा रहा है।

क्रीप और भूत कहानियाँ

इरम मंज़िल के बारे में कई क्रीप और भूत कहानियाँ भी प्रचलित हैं, जो इसे और अधिक रहस्यमय बनाती हैं। कहा जाता है कि इस महल में एक “हेडलेस मैन” की आत्मा भटकती है, जिसे रात के समय देखा गया है।

ऐसी भी कहानियाँ हैं कि कुछ लोगों ने इस महल में अजीब आवाजें और घटनाएँ देखी हैं, जैसे कि किसी के कदमों की आवाज़ें, अचानक बंद होने वाले दरवाज़े और गायब होती चीज़ें। हालाँकि, इन कहानियों की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन ये irrum manzil को और अधिक रोमांचक और रहस्यमय बनाती हैं।

ईरम मंजिल की रहस्यमय कहानियां

errum manzil  से कई रहस्यमय और डरावनी कहानियां जुड़ी हुई हैं। एक कहानी के अनुसार, यहां एक सिरहीन आदमी की आत्मा भटकती रहती है। दूसरी कहानी बताती है कि एक व्यक्ति ने इस इमारत का किराया लिया था, लेकिन वह पैसे वापस नहीं कर पाया और उसकी शादी की रात उसका बलिदान दे दिया गया।

ईरम मंजिल का अंदरूनी हिस्सा

ईरम मंजिल में 150 से अधिक कमरे हैं। जब आप इस इमारत के अंदर जाएंगे , तो आपको  बहुत सारी रहस्यमय और डरावनी चीजें देखने को मिलीं। अंधेरे कमरों में पुराने सामान फेंके पड़ा मिलेगा । कई जगह से अजीब आवाजें आपको सुनाई देगी और काभी कभी तो ऐसा लगा कि कोई आपका  हाथ पकड़ रहा है।

निष्कर्ष

errum manzil हैदराबाद की शाही विरासत और वास्तुकला का एक अनमोल खजाना है। इसकी भव्य वास्तुकला, शानदार सजावट, बगीचे और जलाशय इसे एक अनूठा स्मारक बनाते हैं।

यह न केवल पर्यटकों के लिए एक आकर्षण है, बल्कि भारतीय संस्कृति और कला के संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण है। इरम मंज़िल की यात्रा करना न केवल एक शानदार अनुभव है, बल्कि हमारे गौरवशाली अतीत से भी जुड़ाव स्थापित करता है।

इसके साथ ही, इसके इर्द-गिर्द की कहानियाँ और रहस्य इसे और अधिक रोचक बनाते हैं। इरम मंज़िल एक ऐसा स्थल है जहाँ इतिहास, कला और रहस्य एक साथ मिलते हैं, जिससे यह यात्रा और भी यादगार हो जाती है।

 

 

 

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