Bhangarh Fort || भारत का सबसे डरावना भूतिया स्थल
Bhangarh Fort – जब भुतिया और डरावने स्थलों की बात आती है, तो भानगढ़ किला भारत में सबसे ऊपर आता है। राजस्थान में स्थित यह 15वीं शताब्दी का किला अपनी भयावह कहानियों के लिए जाना जाता है। इतना डरावना है यह स्थल कि लोग दिन के समय भी यहां आने से डरते हैं। यहां तक कि कहा जाता है कि जो भी रात के समय इस किले में जाता है, वह कभी वापस नहीं लौटता।

इस डरावने किले की कहानी इतनी प्रसिद्ध है कि सरकार ने खुद बोर्ड लगाकर रात के समय इस किले में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यहां तक कि भारतीय पुरातत्व विभाग ने भी डर की वजह से अब तक यहां अपना कार्यालय नहीं बनाया है। तो क्या है भानगढ़ किले का रहस्य? आइए जानते हैं इस भयावह किले की असली कहानी।
Bhangarh Fort का इतिहास और निर्माण
भानगढ़ किले का निर्माण आमेर के शासक राजा भगवंतदास ने 1573 में अपने छोटे बेटे माधव सिंह के लिए करवाया था। उस समय यह किला पूरी तरह से आबादी से घिरा था और इसके चारों ओर घनी बस्तियां थीं। लेकिन फिर एक अनहोनी घटना घटी, जिससे इस किला की खुशियां हमेशा के लिए खत्म हो गईं। एक समय जीवंत नजर आने वाला यह विशाल किला एक भूतिया स्थल बन गया।
लोगों के मन में इस किले के प्रति डर इतना बैठ गया कि उन्होंने इसे छोड़ना शुरू कर दिया। इसके परिणामस्वरूप, भानगढ़ और इसके आसपास का इलाका पूरी तरह से वीरान हो गया। आज भी यह किला सैकड़ों सालों से इसी तरह वीरान पड़ा है, जो बेहद दुखद नजारा है।
कहानियां और किंवदंतियां bhangarh fort haunted story
इस किले के हॉन्टेड होने के पीछे कई कहानियां और किंवदंतियां प्रचलित हैं। लेकिन सबसे प्रसिद्ध और विश्वसनीय कहानी है राजकुमारी रत्नावती की।
राजकुमारी रत्नावती की कहानी
जब Bhangarh Fort का निर्माण किया जा रहा था, तब यहां 18 वर्षीय राजकुमारी रत्नावती रहती थी। उनकी खूबसूरती की चर्चाएं दूर-दूर तक थीं और कई राजकुमार उनसे विवाह करना चाहते थे।
एक दिन जब राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ बाजार गई थी, तभी एक तांत्रिक व्यक्ति सिंधिया सेवाड़ा ने उनकी खूबसूरती देखी। वह काले जादू का महारथी था और राजकुमारी की सुंदरता देखकर वह उन पर मोहित हो गया। उसने राजकुमारी द्वारा पसंद किए गए इत्र की एक बोतल पर तंत्र-मंत्र करके उसे वश में करने की कोशिश की।
राजकुमारी के एक साथी ने देखा कि सिंधिया ने इत्र की बोतल पर काला जादू किया है। उसने राजकुमारी को आगाह किया और राजकुमारी ने वह बोतल एक पत्थर पर फेंक दी। बोतल टूटने पर इत्र का काला जादू उस पत्थर में आ गया। पत्थर लुढ़कते हुए सिंधिया की ओर बढ़ने लगा और उसे कुचल दिया।
मरते समय सिंधिया ने शाप दिया कि राजकुमारी और किले के सभी निवासी एक दर्दनाक मौत मरेंगे और उनकी आत्माएं हमेशा के लिए Bhangarh Fort में भटकती रहेंगी।
राजकुमारी रत्नावती की यह कहानी भानगढ़ किले की सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय कहानी है। लेकिन इसके अलावा भी कुछ और कहानियां हैं जो इस किले के हांटेड होने की वजह बताती हैं। इनमें से एक कहानी युद्ध और नरसंहार से जुड़ी है।
युद्ध और नरसंहार की कहानी
कुछ समय बाद, भानगढ़ और अजबगढ़ के बीच एक युद्ध छिड़ गया। अजबगढ़ की सेना शक्तिशाली थी और उसने भानगढ़ किले पर आक्रमण कर दिया। उन्होंने किले में मौजूद हर एक पुरुष, महिला और बच्चे को मार डाला, जिसमें राजकुमारी रत्नावती भी शामिल थी।
इस नरसंहार के बाद से ही यह किला भूतिया हो गया। लोगों को अंदर से अजीब आवाजें आती थीं और Bhangarh Fort की तरफ जाने वाले लोग गायब होने लगे। इसलिए किले के आसपास रहने वाले लोगों ने अपनी बस्तियां छोड़ दी और यह इलाका पूरी तरह वीरान हो गया।
एक और कहानी जो भानगढ़ किले के भूतिया होने की वजह बताती है, वह बाबा बालकनाथ की शाप की कहानी है। इस कहानी के अनुसार, किले के निर्माण के समय बाबा बालकनाथ नामक एक साधु किले के पास रहते थे।
बाबा बालकनाथ की शाप की कहानी
जब यह किला बनाया जा रहा था, तब किले के पास बाबा बालकनाथ नाम के एक साधु रहते थे। उन्होंने राजा भगवंतदास से किले की ऊंचाई को इतना न बढ़ाने की अपील की कि इसकी परछाई उनकी कुटिया तक न पहुंचे। लेकिन राजा ने उनकी बात नहीं मानी और किला बनाकर तैयार कर लिया।
जब किले की परछाई बाबा की कुटिया तक पहुंच गई, तो वे क्रोधित हो गए और उन्होंने शाप दे दिया कि यह किला पूरी तरह तबाह हो जाएगा। बहुत से लोग मानते हैं कि भानगढ़ किले की यह दुर्दशा बाबा बालकनाथ के शाप की वजह से हुई।
इसके अलावा, एक और कहानी खजाने की रक्षा से जुड़ी है। इस कहानी के अनुसार, युद्ध के बाद Bhangarh Fort के राजा और उनके परिवार ने अपना खजाना किले में छिपा दिया था। दुश्मनों से इस खजाने को बचाने के लिए, एक झूठी अफवाह फैलाई गई कि यह इलाका शापित है।
खजाना छिपाने की कहानी
एक अन्य कहानी के अनुसार, भानगढ़ में एक युद्ध हुआ था, जिसमें Bhangarh Fort के सैनिक पूरी तरह से हार गए थे। राजा और उनके परिवार के कुछ लोग भाग निकले, लेकिन उन्होंने किले में अपना खजाना छिपा दिया था।
दुश्मनों से इस खजाने को बचाने के लिए, एक झूठी अफवाह फैलाई गई कि यह इलाका शापित है और यहां आने वाले की मौत हो जाएगी। इस तरह खजाने की रक्षा के लिए फैलाई गई यह अफवाह बाद में भानगढ़ किले को भूतिया बना गई।
घटनाओं का संक्षिप्त विवरण
इन सभी कहानियों के बावजूद, एक बात स्पष्ट है कि किसी न किसी कारण से Bhangarh Fort एक समय वीरान और भूतिया स्थल बन गया। लोग इस किले से डरने लगे और आसपास के इलाके को छोड़ने लगे। Bhangarh Fort पूरी तरह से वीरान पड़ा है और लोग रात के समय यहां आने से डरते हैं।
सरकार की भूमिका
भारत सरकार ने भी इस किले को भूतिया मानते हुए कुछ कदम उठाए हैं। उन्होंने बाहर बोर्ड लगाकर रात के समय इस किले में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही, भारतीय पुरातत्व विभाग ने भी डर की वजह से यहां अपना कार्यालय नहीं बनाया है।
यह सभी कदम इस बात की ओर इशारा करते हैं कि सरकार भी Bhangarh Fort को भूतिया मानती है। और जब सरकार ही ऐसे कदम उठाती है, तो आम लोग भी इस किले को शापित समझेंगे।
लोगों की मान्यताएं और अनुभव
Bhangarh Fort के आसपास रहने वाले लोग इस किले से जुड़ी कई डरावनी घटनाओं की कहानियां सुनाते हैं। उनके अनुसार, किले से रोने, चिल्लाने और घरों की आवाजें आती हैं। कई लोग दावा करते हैं कि जो भी रात के समय इस किले में गया है, वह कभी वापस नहीं लौटा।
इन कहानियों और अनुभवों के कारण, आज भी बहुत कम लोग ही भानगढ़ किले के अंदर जाने की हिम्मत करते हैं। यहां तक कि दिन के समय भी लोग डरते हैं।
निष्कर्ष
भारत के राजस्थान राज्य में स्थित भानगढ़ किला अपनी डरावनी कहानियों और भूतिया होने की खबरों के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि रात के समय यहां जाने वाले लोग कभी वापस नहीं लौटते, इसलिए सरकार ने यहां रात के समय प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा है।
भले ही Bhangarh Fort की कहानियों में सच्चाई कितनी है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन यह तथ्य है कि यह किला अपनी डरावनी छवि और कहानियों के कारण पूरे भारत में जाना जाता है। यह एक ऐसा स्थल है जहां लोग आने से डरते हैं क्योंकि वहां का इतिहास बहुत ही रहस्यमय और भयावह है।
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