Ghost story of Ramgarh and history
रामगढ़ बंगला: राजस्थान की गौरवशाली विरासत
Ghost story of Ramgarh:राजस्थान की धरती पर मौजूद हर किला और महल एक अनोखी कहानी लिए हुए है। इन इतिहास गवाह ईमारतों ने न सिर्फ कई युद्धों को देखा है, बल्कि राजनीतिक उतार-चढ़ाव और सांस्कृतिक विकास की गवाही भी दी है। आज हम आपको एक ऐसे ही किले की यात्रा पर ले जा रहे हैं, जिसकी दीवारों में गुमानसिंह लाड़खानी और बालीनाथ बाबा का शाप छिपा है। यहां रामगढ़ बंगले के बारे में विस्तार से बताया गया है।

रामगढ़ बंगला का इतिहास
Ramgarhबंगला राजस्थान के छोटी डूंगरपुर और खेतड़ी शहरों के बीच स्थित है। यह किला लगभग 1744 ई. में बनाया गया था। इसका निर्माण सत्रासुड़ चम्बालिस गुमानसिंह लाड़खानी ने कराया था। इस किले की एक रोचक कहानी है।
उस समय जोधपुर के राजा सौर सिंह की सौतेली मां जीन माता तीर्थ यात्रा के लिए सीकर जा रही थीं। उन दिनों यात्रा करना बहुत कठिन होता था, इसलिए उनके साथ एक बड़ा काफिला था। रास्ते में गुमानसिंह लाड़खानी ने उनके काफिले को लूट लिया। इस घटना से जोधपुर और जयपुर के राजाओं के बीच युद्ध छिड़ गया।
युद्ध के बाद जयपुर के राजा ने रामगढ़ पर आक्रमण कर इसे अपने अधिकार में ले लिया। गुमानसिंह के पुत्र दूलेसिंह ने खाचरीयावास नामक एक नया रियासत बसाई और वहीं बस गए। इसके बाद रामगढ़ किला जयपुर के राजा के अधिकार में रहा।
किले का निर्माण और वास्तुकला
रामगढ़ किला अपनी विशाल इमारत और सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध है। इसके प्रवेश द्वार पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित है, और द्वार इतना बड़ा है कि आज भी अच्छी स्थिति में है। किले की दीवारों में छोटे-छोटे गुप्त द्वार बने हुए हैं, जिनसे आक्रमणकारियों पर निगरानी रखी जाती थी। आप यहां से पूरे शहर का अद्भुत नज़ारा देख सकते हैं।
किले के अंदर एक बड़ा प्रांगण है, जहां राजा रहते थे और गार्डों के कमरे बने हुए थे। इन कमरों की स्थिति आज भी ठीक है। किले में मुगल और राजपूत शैलियों का समावेश देखा जा सकता है, जो इसकी वास्तुकला को और भी खूबसूरत बनाता है।
किले की राजसी शान और निर्माण कला
रामगढ़ किले के निर्माण में उस समय की श्रेष्ठ वास्तुकला और निर्माण कला का परिचय मिलता है। किले का प्रवेश द्वार इतना विशाल है कि आज भी इसकी शान बरकरार है। इस द्वार पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित है, जो उस समय की कला का उत्कृष्ट नमूना है।
यहां मुगल और राजपूत शैलियों का एक सुंदर समन्वय देखा जा सकता है। किले की दीवारों पर बने छोटे-छोटे गुप्त द्वार भी बहुत ही रोचक हैं, जिनसे आक्रमणकारियों पर निगरानी रखी जाती थी। किले के ऊपर से आप पूरे शहर का अद्भुत नजारा देख सकते हैं।
किले के अंदर एक बड़ा प्रांगण है, जहां राजा के निवास स्थान और गार्डों के कमरे बने हुए थे। इन कमरों की स्थिति आज भी काफी अच्छी है। किले के निर्माण में भारी लकड़ी और प्रस्तर का इस्तेमाल किया गया है, जो उस समय की शानदार कारीगरी को दर्शाता है।
किले के पुनर्निर्माण और संरक्षण में स्थानीय प्रयास
रामगढ़ किले की वर्तमान स्थिति काफी खराब है। इसके कई हिस्से गिर चुके हैं और चमगादड़ों ने कई जगहों पर कब्जा कर लिया है। लेकिन हाल के वर्षों में स्थानीय समिति और कुछ संगठनों ने किले के पुनर्निर्माण और संरक्षण के प्रयास किए हैं।
स्थानीय समिति ने किले के कुछ हिस्सों का पुनर्निर्माण कराया है और बालीनाथ मंदिर की देखभाल कर रही है। वे हर साल दुर्गा पूजा और अन्य धार्मिक उत्सव भी आयोजित करते हैं। इन प्रयासों से किले की स्थिति में सुधार आया है, लेकिन अभी भी काफी काम बाकी है।
कई स्थानीय लोग और पर्यटक इस किले को संरक्षित करने के लिए आवाज उठा रहे हैं। उम्मीद है कि भविष्य में सरकार और पुरातत्व विभाग भी इस किले के संरक्षण के लिए कदम उठाएंगे, ताकि यह राजस्थान की गौरवशाली विरासत बनी रहे।

गुमानसिंह लाड़खानी और बालीनाथ बाबा का शाप Ghost story of Ramgarh
रामगढ़ किले के निर्माण से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी है, जिसे आज भी स्थानीय लोग बड़े विश्वास के साथ सुनाते हैं। जब गुमानसिंह लाड़खानी किले का निर्माण करवा रहे थे, तो किले की दीवारों के बीच में एक संत बालीनाथ बाबा की धूनी आ गई। गुमानसिंह ने बाबा से धूनी हटाने को कहा, लेकिन बाबा ने मना कर दिया।
बाबा के इनकार पर गुमानसिंह ने उन्हें धमकाया, तो बाबा ने उन्हें शाप दे दिया कि न तो किला कभी पूरा होगा और न ही गुमानसिंह अपना काम पूरा कर पाएंगे। बाद में, बारूद के एक विस्फोट में गुमानसिंह की मृत्यु हो गई और किला अधूरा रह गया। आज भी किले के कुछ हिस्सों में इस घटना के निशान देखे जा सकते हैं।
स्थानीय लोग इस कहानी को बड़े विश्वास से मानते हैं और बालीनाथ बाबा की पूजा करते हैं। उनकी मान्यता है कि बाबा का शाप ही किले को अधूरा छोड़ने का कारण बना।
बालीनाथ मंदिर और त्योहार Ramgarh
ramgarh fort का बालीनाथ मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर का प्रबंधन स्थानीय समिति द्वारा किया जाता है, और यहां प्रतिवर्ष एक बड़ा मेला लगता है। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण पिछले दो वर्षों से यह मेला स्थगित है।
जब यह मेला आयोजित होता है, तो पूरे गांव से लोग यहां आते हैं और विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियां होती हैं। राजस्थान के प्रसिद्ध कलाकार और गायक भी इस मेले में भाग लेते हैं।
इस मेले का आयोजन बालीनाथ बाबा के सम्मान में किया जाता है। लोगों की मान्यता है कि बाबा की कृपा से ही यह किला बचा हुआ है। इसलिए उनकी पूजा-अर्चना के साथ-साथ यहां नाच-गान और अन्य मनोरंजन भी होते हैं।
गुप्त सुरंगें और सुरक्षा व्यवस्था Ramgarh
रामगढ़ किले में एक विशेष सुरक्षा व्यवस्था थी, जो उस समय के युद्ध और आक्रमण की स्थितियों को देखते हुए बनाई गई थी। इसमें गुप्त सुरंगें और निगरानी के लिए विशेष स्थान शामिल थे।
किले से कुछ दूरी पर एक ऊंची जगह बनी थी, जहां से गार्ड आसपास की हर गतिविधि पर नजर रख सकते थे। यदि कोई आक्रमणकारी सेना किले की ओर बढ़ती, तो गार्ड उसकी जानकारी तुरंत किले में दे देते थे।
साथ ही, किले में कई छिपी हुई सुरंगें भी बनी हुई थीं, जो किले के भीतर से बाहर निकलती थीं। इनका उपयोग आपातकाल में किले से बाहर निकलने के लिए किया जाता था। जब भी किले पर किसी बाहरी सेना का आक्रमण होता, तो राजा और रानियां इन्हीं सुरंगों से बाहर निकल जाते थे।
ये सुरंगें आज बहुत ज्यादा क्षतिग्रस्त हैं और इनमें प्रवेश करना खतरनाक हो सकता है। लेकिन, उस समय ये सुरंगें किले की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं।

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सुरक्षित यात्रा के लिए सुझाव
अगर आप रामगढ़ किले का दौरा करना चाहते हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। किले की दीवारों और खंडहरों पर चलना खतरनाक हो सकता है, इसलिए सावधानी बरतें। साथ ही, किले में सांप या अन्य जानवरों के होने की संभावना है, इसलिए उनसे दूर रहें।
इसके अलावा, अपने साथ पर्याप्त पानी और खाद्य पदार्थ लेकर जाएं, क्योंकि किले के आसपास कोई खाने-पीने की जगह नहीं है। यदि आप किले के अंदर जाना चाहते हैं, तो किसी स्थानीय गाइड की मदद लेना बेहतर होगा। वे किले के इतिहास और जगहों के बारे में अच्छी जानकारी दे सकते हैं।
समापन : Ghost story of Ramgarh
रामगढ़ किला राजस्थान के गौरवशाली इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी वास्तुकला और इतिहास से हर कोई प्रभावित होगा। यह किला हमें अतीत से जोड़ता है और इसके संरक्षण की आवश्यकता है।
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