kyoti village history
Kyoti || एक रहस्यमय वीरान गाँव
गाँवों की बात आए तो हर किसी के मन में एक सुकून भरी छवि उभरती है। हरियाली से घिरे घर, खेतों में लहराती फसलें और शांत वातावरण।
लेकिन क्या आपने कभी किसी ऐसे रहस्यमय और वीरान गाँव के बारे में सुना है जहाँ जाने पर आपको डर और रोमांच, दोनों ही महसूस होगा? आज मैं आपको एक ऐसे ही गाँव की कहानी बताने जा रहा हूँ जो प्रयागराज के निकट स्थित है।
Kyoti गाँव का इतिहास
क्योटी गाँव का इतिहास काफी प्राचीन और गौरवशाली रहा है। यह गाँव बांधवगढ़ साम्राज्य के समय बसाया गया था।
1495 के आसपास, बांधवगढ़ के राजा बघेल वशी शालिवाहन ने सिकंदर लोधी से अपनी बेटी की शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया था।
इसके बदले में, सिकंदर लोधी ने 1499 में बांधवगढ़ पर आक्रमण कर दिया और कई गाँवों और फसलों को नष्ट कर दिया।
युद्ध के बाद, राजा शालिवाहन ने बांधवगढ़ साम्राज्य को टुकड़ों में बाँट दिया और अपने बेटों में बाँट दिया। क्षेत्र का एक हिस्सा राजकुमार जनक को मिला, जिसने क्योटी गाँव बसाया।
राजकुमार नागमाल देव ने महान नदी के किनारे क्योटी जलप्रपात के ठीक सामने केले का निर्माण कराया, और यहीं से क्योटी राजघराने का उदय हुआ।

प्राचीन बांधवगढ़ साम्राज्य की विरासत
Kyoti गाँव का इतिहास बहुत ही रोचक और गौरवशाली रहा है। यह प्राचीन बांधवगढ़ साम्राज्य से जुड़ा है, जिसका विस्तार आज के मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ क्षेत्रों में था।
15वीं शताब्दी के आसपास, बांधवगढ़ के राजा बघेल वशी शालिवाहन ने सिकंदर लोधी से अपनी बेटी की शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। इसके बदले में, लोधी ने 1499 में बांधवगढ़ पर आक्रमण कर दिया और कई गाँवों और फसलों को नष्ट कर दिया।
युद्ध के बाद, राजा शालिवाहन ने बांधवगढ़ साम्राज्य को टुकड़ों में बाँट दिया और अपने बेटों में बाँट दिया। इसी बँटवारे में राजकुमार जनक को क्योटी का क्षेत्र मिला, जिन्होंने यहाँ Kyoti गाँव बसाया।
उनके छोटे भाई राजकुमार नागमाल देव ने महान नदी के किनारे क्योटी जलप्रपात के सामने एक किला बनवाया, जिसे बाद में क्योटी किला के नाम से जाना गया। यहीं से क्योटी राजवंश का उदय हुआ।
Kyoti किला का निर्माण
क्योटी किले के निर्माण के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। स्थानीय लोगों के अनुसार, किले के निर्माण में हजारों श्रमिकों ने दिन-रात मेहनत की थी।
किला बनाने के दौरान, एक मजदूर ने अपनी पत्नी और बच्चे को भी साथ लाया था। लेकिन काम की अधिक व्यस्तता के कारण, वह उनकी देखभाल नहीं कर पाता था।
एक दिन, जब वह काम से लौटा तो देखा कि उसकी पत्नी और बच्चा लापता हैं। उसने हर जगह उनकी तलाश की, लेकिन वे कहीं नहीं मिले।
दुखी होकर उसने काम छोड़ दिया और किले से दूर चला गया। लेकिन कुछ दिनों बाद, वह वापस आया और किले के एक कोने में उसकी पत्नी और बच्चे के अवशेष मिले।
इस दुखद घटना के बाद से, लोगों ने मानना शुरू कर दिया कि किला शुभ नहीं है और उसमें भूतों की आत्माएं भटकती हैं। आज भी, कई लोग रात के समय किले के आसपास आवाजें सुनने का दावा करते हैं।
1857 का विद्रोह और अंग्रेजों का अत्याचार
1857 के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, जब पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की भावना थी, उस समय क्षेत्र पर अधिकार रखने वाले ठाकुर रणमत सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर अंग्रेजों के कई ठिकानों पर हमला किया।
एक अंग्रेज अधिकारी ने मुखबिरों को लालच देकर ठाकुर रणमत सिंह के गुप्त ठिकाने की जानकारी हासिल की और क्योटी के किले पर हमला कर दिया।
इस हमले के दौरान, भीषण युद्ध हुआ। अंतत: ठाकुर रणमत सिंह अदालत की मदद से वहाँ से निकलने में कामयाब रहे, लेकिन बाद में उन्हें धोखे से पकड़ लिया गया और 1859 में आगरा की जेल में डाल दिया गया।
अत्याचारों का दौर
उसके बाद, Kyoti किला अंग्रेजी सैनिकों के कब्जे में आ गया। ये सैनिक आसपास के गाँवों से युवतियों और महिलाओं को अगवा करते और उनके साथ यौन शोषण करते थे। जो महिलाएं विरोध करतीं, उनका बेरहमी से कत्ल कर दिया जाता था।
स्थानीय लोग मानते हैं कि इन अत्याचारों के कारण, किला शुभ नहीं रहा और इसमें भूतों की आत्माएं आ गईं। रात के समय इस किले से डरावनी आवाजें आती हैं।
कई लोगों ने बताया कि वे रात में किले के आसपास आकृतियां देखते हैं, जो धुंधली हो जाती हैं।
अंग्रेजी सरकार में किले को अपेक्षित देखभाल नहीं मिली, और धीरे-धीरे यह जर्जर होता गया। आजादी के बाद भी, इसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। अंततः इसे छोड़ दिया गया। बाद में पुरातत्व विभाग ने इसे अपने संरक्षण में ले लिया।
Kyoti झरना – प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नमूना
क्योटी गाँव और किला अपनी डरावनी कहानियों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस इलाके की सबसे बड़ी खूबसूरती है क्योटी झरना। यह भारत का 22वां सबसे ऊँचा जलप्रपात है, जिसकी ऊंचाई 322 फीट है।
Kyoti झरना एक विशाल घाटी में स्थित है। घाटी के एक तरफ यह उँचे पहाड़ी से गिरता प्रवाह है, जिसकी आवाज सुनकर ही दिल थरा उठता है।
दूसरी तरफ घाटी में एक गहरी खाई है जिसकी गहराई देखकर सिर चकरा जाता है। झरने के चारों तरफ घने जंगल हैं जिनमें विभिन्न प्रजातियों के पेड़-पौधे और जीव-जंतु निवास करते हैं।
झरने तक पहुँचना
हालांकि क्योटी झरना देखने लायक है, लेकिन वहां पहुंचना आसान नहीं है। प्रयागराज से यहां आने के लिए आपको करीब 95 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है।
रास्ते में ज्यादातर सड़कें पहाड़ी होने के कारण बहुत ही कठिन हैं। कई जगहों पर सड़क इतनी संकरी है कि दो गाड़ियां आमने-सामने नहीं गुजर सकतीं।
इसके अलावा, सड़क पर बहुत से पत्थर बिखरे पड़े हैं जिनसे टायर फटने का खतरा रहता है।
अगर आप एक अच्छे ड्राइवर नहीं हैं, तो आपकी गाड़ी का निचला हिस्सा इन पत्थरों से जरूर टकरा सकता है। कई जगहों पर तो इतने तेज मोड़ हैं कि उनसे निकलना भी मुश्किल हो जाता है।
इसलिए क्योटी झरने तक पहुंचना काफी चुनौतीपूर्ण है। अगर आप यात्रा करने का मन बना रहे हैं तो एक अच्छे ड्राइवर के साथ जाना बेहतर होगा और गाड़ी में पंचर होने की स्थिति के लिए रेस्क्यू व्यवस्था करनी चाहिए।
क्योटी गाँव की वर्तमान स्थिति
क्योटी गाँव में लगभग 300 लोग रहते हैं। ज्यादातर लोग या तो किसान हैं या फिर पैसा कमाने के लिए शहरों में मेहनत मजदूरी करते हैं।
गाँव में कोई ठहरने की सुविधा नहीं है। ना ही कोई ढाबा या रेस्टोरेंट है। इसलिए अगर आप यहाँ आना चाहते हैं, तो खाने-पीने का इंतजाम पहले से कर लेना चाहिए।
Kyoti गाँव की निर्धनता और वहाँ फैला हुआ सन्नाटा एक डर भी पैदा करता है। लेकिन फिर भी, इस जगह की खूबसूरती और रहस्यमय वातावरण लोगों को आकर्षित करता है।
सुरक्षा सावधानियाँ
यदि आप Kyoti गाँव जाना चाहते हैं, तो कुछ सावधानियाँ बरतनी होगी। सबसे पहले, सूरज ढलने से पहले ही वहाँ से निकल जाना चाहिए, क्योंकि रात में वहाँ रहना खतरनाक हो सकता है। साथ ही, अकेले न जाएं, बल्कि कई लोगों के साथ जाएं।
किले के भीतर जाने की भी सलाह नहीं दी जाती, क्योंकि वहाँ कुछ लोग नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं और लूटपाट की घटनाएं भी सुनी जाती हैं। सबसे नजदीकी पुलिस थाना 11 किमी दूर सिरमौर में है, और एक पुलिस चौकी 8 किमी दूर लालगाँव में है।
निष्कर्ष
Kyoti गाँव और उसके आसपास के इलाके में एक रहस्यमय और रोमांचकारी इतिहास निहित है। यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती और दुर्लभ वास्तुकला आपको मंत्रमुग्ध कर देगी।
लेकिन साथ ही, इस जगह से जुड़े कुछ डरावने किस्से और सावधानियाँ भी हैं। इसलिए अगर आप यहाँ घूमने आना चाहते हैं, तो उचित सुरक्षा उपायों का पालन करना न भूलें।
एक बार यहाँ आकर, आप इस जगह के रहस्य और रोमांच को निश्चित रूप से महसूस कर पाएंगे।
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